About Hisar
हिसार, हरियाणा राज्य में स्थित हिसार जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है, जो नई दिल्ली के पश्चिम में 164 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह प्रवासियों को आकर्षित करने और दिल्ली के लिए विकास का एक वैकल्पिक केंद्र बन चूका है जिसको राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का काउंटर मैग्नेट सिटी बन चूका है। हिसार अपने इस्पात उद्योग के लिए जाना जाता है और इसलिए इसे “इस्पात के शहर” भी कहते हैं। हिसार में और आसपास पर्यटन स्थल हिसार में देखने और करने को बहुत कुछ है। सेंट थॉमस चर्च चार साल में बना था जो दिसंबर, 1860 से शुरू हुआ और मई में पूरा हुआ जो की एक प्रमुख आकर्षण है। यह चर्च सेंट थॉमस को समर्पित है जो यीशु मसीह के बारह विषयों में से एक हैं। उस समय इसके निर्माण में 4500 रूपए लागत आई थी। चर्च के डिजाइन और निर्माण में विक्टोरियन शैली वास्तुकला की मुख्य विशेषताएं बसी हुई है। अग्रोहा धाम या अग्रोहा मंदिर, जैसे की नाम से पता चलता है अग्रोहा में स्थित है। इस मंदिर के परिसर में एक बहुत बड़ा तालाब है शक्ति सरोवर के नाम से और योग और यहाँ एक प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र है जहाँ योग और संबद्ध उपचारों के माध्यम से रोगियों के इलाज किया जाता है। पर्यटक लोहारी राघो भी जा सकते है, जो एक एतेहासिक गाँव है और हिसार शहर के पूर्व में लगभग 31 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ तीन ऐतिहासिक टीले है, जिसकी जडें सोथी-सीसवाल चीनी मिट्टी की अवधि से मिली हुई है। इन टीलों को पुरातत्व और संग्रहालय विभाग, हरियाणा के अधिकारीयों धूप सिंह और चन्दरपाल सिंह ने 1980 में खुदाई कराई थी। अग्रोभा टीला, एक पुरातात्विक स्थल है जो अग्रोहा के नाम पे है और 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खोज के दौरान जो ऐतिहासिक सामग्री मिली वह 3वीं और 4 शताब्दी ई.पू. 13 वीं और 14 वीं शताब्दी की मानी जाती है। अग्रोहा टीला के एक तरफ मंदिर परिसर और दूसरी तरफ शीला माता मंदिर है। रखिगढ़, को राखी शाहपुर के नाम से भी जाना जाता है और राखी खास, हिसार जिले का गाँव है जिसका ऐतिहासिक महत्व को 1963 में और 1997 में पुरातत्व सर्वेक्षण दवरा खुदाई में मिला था। यह गाँव 2.2 किमी वर्ग में फैला हुआ है और हड़प्पा और सिंधु घाटी सभ्यता का एक हिस्सा था। हिसार में एक प्राचीन गुम्बद, जो एक आध्यात्मिक शिक्षक, बाबा पन्निर बादशाह की कब्र है वह 14 वीं शताब्दी में यहाँ रहते थे। शहर के केंद्र में स्थित कब्र अपने सभी चार पक्षों पर खुलने धनुषाकार है। बरसी गेट, हांसी शहर के दक्षिण में स्थित और हिसार के 26 किमी पूर्व में शहर में है। यह शहर के पांच मुख्य प्रवेश द्वार में से एक है, अन्य चार दिल्ली गेट, हिसार गेट, गोसाई गेट और उमरा गेट हैं। आप वहां पृथ्वीराज का किला भी देख सकते है जिसको प्रसिद्ध राजपूत योद्धा पृथ्वीराज द्वारा 12 वीं सदी में बनाया गया था। एक और अन्य आकर्षण है दरगाह चार कुतुब, या चार प्रख्यात सूफी संतों के मकबरे, यह भी हांसी में स्थित है। जो महान सूफी संत यहाँ दफ़न है वो जमाल उद दीन हांसी, बुरहान उद दीन, कुतुब उद दीन मनुवर और नूर उद दीन हैं। अंत में, आप 1354 ई. में फिरोज शाह तुगलक द्वारा निर्मित फिरोज शाह महल परिसर भी घूम सकते है। महल में एक मस्जिद है जिसे ‘लाट की मस्जिद’ कहते है, यह लगभग 20 फुट ऊंचाई पर बलुआ पत्थर के खम्भे पे है। इतिहास इतिहास में है की हिसार ए फिरोज़ा के रूप में फिरोज शाह तुगलक ने 1354 ई. हिसार स्थापित किया था। उसने दिल्ली की सल्तनत पे 1351 से 1388 तक राज किया और एक नहर के माध्यम से शहर में यमुना नदी का पानी लाने के लिए जिम्मेदार था। दो नदियाँ , घग्गर और दृषद्वती कभी इस शहर से होकर गुज़रती थी लेकिन अब अपना रास्ता बदल दिया है। इन सालों में, हिसार ने कई 3 शताब्दी ई.पू. में मौर्यों, 14 वीं सदी में तुगलक, 16 वीं शताब्दी में मुगलों और 19 वीं सदी में ब्रिटिश सहित कई प्रमुख शक्तियों का शासन देखा है। आजादी के बाद, यह पंजाब का एक हिस्सा बन गया, हालांकि, 1966 में पंजाब के विभाजन किया गया था, उसके बाद यह हरियाणा का हिस्सा बन गया। हिसार तक कैसे पहुंचे हिसार में अच्छी तरह से हवाई, सड़क और रेल द्वारा भारत के अन्य शहरों से जुड़ा है।
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